लेखनी कविता - छायाभास - जगदीश गुप्त

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छायाभास / जगदीश गुप्त बचपन में काग़ज़ पर स्याही की बूंद डाल कोने को मोड़ कर छापा बनाया जैसा रूप रेखा के इधर बना, वैसा ही ठीक उधर आया। भोर के ...

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